Best 50+ Krishna Quote's In HIndi
" किसी भी काम में आपकी योग्यता को योग कहते हैं। "
" भगवान सभी लोगो के मन में बसते हैं, और अपनी माया से उनके मन को जैसा चाहे वैसा घड़े की तरह घड़ते हैं। "
" सही मायने में चोर वो हैं, जो अपने हिस्से का काम किये बिना भोजन करता हैं। "
" कर्म किये जाओ, फल की चिंता मत करो। "
" मन बहुत चंचल हैं, जो इंसान के दिल में उथल-पुथल कर देता हैं। "
" हर कोई खाली हाथ आया था, और खाली हाथ ही इस दुनिया से जाएगा। "
" परिवर्तन संसार का नियम हैं, कल जो किसी और का था आज वो तुम्हारा हैं कल वो किसी और का होगा। "
" आत्मा अमर हैं, इसलिए मरने की चिंता मत करो। "
" मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया मन से मिटा दो फिर सब तुम्हारा हैं और तुम सबके हो। "
" भूत और भविष्य में नही, जीवन तो इस पल में हैं अर्थात वर्तमान का अनुभव ही जीवन हैं। "
" तू करता वही हैं, जो तू चाहता हैं, होता वही है जो मैं चाहता हूँ, तू वही कर जो मैं चाहता हूँ, फिर होगा वही, जो तू चाहता हैं। "
" इंसान अपने विश्वास की बुनियाद पर उस जैसा बनता चला जाता हैं। "
" आपके साथ अब तक जो हुआ अच्छे के लिए हुआ, आगे जो कुछ होगा अच्छे के लिए होगा, जो हो रहा हैं, वो भी अच्छे के लिए हो रहा हैं, इसलिए हमेशा वर्तमान में जीओ, भविष्य की चिंता मत करो। "
" कोशिश की जाए तो अपने अशांत मन को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता हैं। "
" इंसान नहीं उसका मन किसी का दोस्त या दुश्मन होता हैं। "
" जो किसी दुसरो पर शक करता हैं, उसे किसी भी जगह पर खुशी नहीं मिल सकती। "
" अपने जरुरी कार्य करना, बाकी गलत कार्य करने से बेहतर हैं। "
" कर्म ना करने से बेहतर हैं, कैसा भी कर्म करना। "
" आपका निराश ना होना ही परम सुख होता हैं। "
" क्रोध मुर्खता को जन्म देता हैं, अफवाह से अकल का नाश, और अकल के नाश से इंसान का नाश होता हैं। "
" किसी भी काम में आपकी योग्यता को योग कहते हैं। "
" खुशियों में तो सब साथ होते हैं, असली दोस्त वही हैं जो दुःख में
साथ दे। "
" सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति को कभी भी सुख नही मिल सकता। "
" नर्क के तीन द्वार हैं:वासना, क्रोध और लालच। "
" मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता हैं, जैसा वह विश्वास करता हैं, वैसा वह बन जाता हैं। "
" जानने की शक्ति झूठ को सच से पृथक करने वाली जो विवेक बुद्धि हैं, उसी का नाम
ज्ञान हैं। "
" परिवर्तन ही संसार का नियम हैं। "
" मन अशांत हो तो उसे नियंत्रित करना कठिन हैं लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता हैं। "
" तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नही हैं, और फिर भी ज्ञान की बातें करते हो, बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं। "
" खाली हाथ आये हो और खाली हाथ जाना हैं इसलिए व्यर्थ की चिंता छोड़कर व्यक्ति को हमेशा सत्कर्म करना चाहिए। "
" जिसे तुम अपना समझ कर मग्न हो रहे हो बस यहीं प्रसन्नता तुम्हारे दुखो का कारण हैं। "
" जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ़ कर देता हूँ। "
" अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है। "
" कर्म का फल व्यक्ति को उसी तरह ढूंढ लेता है, जैसे कोई बछड़ा सैकड़ों गायों के बीच अपनी मां को ढूंढ लेता है। "
" आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है,ना ही इसे जलाया जा सकता है, ना ही पानी से गिला किया जा सकता है, आत्मा अमर और अविनाशी है। "
" व्यक्ति या जीव का कर्म ही उसके भाग्य का निर्माण करता है। "
" आत्मा पुराने शरीर को वैसे ही छोड़ देती है, जैसे मनुष्य पुराने कपड़ों को उतार कर नए कपड़े धारण कर लेता है। "
" इस संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है। "
" मन शरीर का हिस्सा है, सुख दुख का एहसास करना आत्मा का नहीं शरीर का काम है। "
" राधा ने किसी और की तरफ देखा हीं नहीं... जब से वो कृष्ण के प्यार में खो गई कान्हा के प्यार में पड़कर, वो खुद प्यार की परिभाषा हो गई। "
" राधा कृष्ण का मिलन तो बस एक बहाना था दुनिया को प्यार का सही मतलब जो समझाना था। जब कृष्ण ने बंसी बजाई, तो राधा मोहित होने लगी जिसे कभी न देखा था. उसने, उससे मिलने को व्याकुल होने लगी। "
" प्यार दो आत्माओं का मिलन होता है ठीक वैसे हीं जैसे... प्यार में कृष्ण का नाम राधा और राधा का नाम कृष्ण होता है। "
" प्रेम करना हीं है, तो मेरे कान्हा से करो जिसकी विरह में रोने से भी तेरा उद्धार हो जाएगा। "
" हे मन, तू अब कोई तप कर ले एक पल में सौ-सौ बार कृष्ण नाम का जप कर ले। "
" जमाने का रंग फिर उस पर नहीं चढ़ता... जिस पर कृष्ण प्रेम का रंग चढ़ जाता है वो सभी को भूल जाता है, जो साँवरे का हो जाता है। "
" अगर तुमने राधा का कृष्ण के प्रति समर्पण को जान लिया
तो तुमने प्यार को सच्चे अर्थों में जान लिया। "
" राधा-राधा जपने से हो जाएगा तेरा उद्धार क्योंकि यही वो नाम है जिससे कृष्ण को प्यार। "
" किसी दुसरे के जीवन के साथ पूर्ण रूप से जीने से बेहतर है की हम अपने स्वयं के भाग्य के अनुसार अपूर्ण जियें। "
" राधे जी का प्यार मुरली की मिठास माखन का स्वाद गोपियन का रास इन से मिल कर बनाता है राधे कृष्णा का प्यार। "
" मुरली मनोहर ब्रज के धरोहर, वो नंदलाल गोपाल है बंसी की धुन पर सब दुःख हरनेवाला। "
" कोई प्यार करे तो राधा-कृष्ण की तरह करे जो एक बार मिले, तो फिर कभी बिछड़े हीं नहीं। "
" तेरे बिना एक सजा है ये जिंदगी मेरे कान्हा किस्मतवाला बस वो है, जो दीवाना है तेरा "
" जो व्यक्ति आध्यात्मिक जागरूकता के शिखर तक पहुँच चुके हैं, उनका मार्ग है निःस्वार्थ कर्म। जो भगवान के साथ संयोजित हो चुके हैं उनका मार्ग है स्थिरता और शांति। "
" वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और मैं और मेरा , की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांती प्राप्त होती है। "
" मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय। किन्तु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं, वो मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ हूँ। "
" जो इस लोक में अपने काम की सफलता की कामना रखते हैं वे देवताओं का पूजन करें। "
" बुरे कर्म करने वाले, सबसे नीच व्यक्ति जो राक्षसी प्रवित्तियों से जुड़े हुए हैं, और जिनकी बुद्धि माया ने हर ली है वो मेरी पूजा या मुझे पाने का प्रयास नहीं करते। "
" स्वर्ग प्राप्त करने और वहां कई वर्षों तक वास करने के पश्चात एक असफल योगी का पुन: एक पवित्र और समृद्ध कुटुंब में जन्म होता है। "
" केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है। "
" मैं सभी प्राणियों के हृदय में विद्यमान हूँ। "
" ऐसा कुछ भी नहीं, चेतन या अचेतन, जो मेरे बिना अस्तित्व में रह सकता हो। "
" वह जो मृत्यु के समय मुझे स्मरण करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है। इसमें कोई शंशय नहीं है। "
" वह जो इस ज्ञान में विश्वास नहीं रखते, मुझे प्राप्त किये बिना जन्म और मृत्यु के चक्र का अनुगमन करते हैं। "
" मनुष्य संप्रदाय दो ही तरह के है एक दैवीय सम्प्रदा वाले एक आसुरी सम्प्रदा वाले । "
" दैवीय सम्प्रदा मुक्ति की तरफ और आसुरी सम्प्रदा नार्कों की और ले जाने वाली है। "
" मन, वाणी और कर्म से किसी को भी दुःख न देना, प्रिय भाषण, अपना बुरा करने वाले पर भी क्रोध न करना, चित की चंचलता का आभाव दुम्भ, अहंकार, घमंड, क्रोध अज्ञान ये आसुरी सम्प्रदा के लक्षण है। "
" भय का आभाव , अनन्तःकरण की निर्मलता , ज्ञान के लिए ध्यानयोग में स्थिति, दान, गुरुजन की पूजा, पठन पाठन, अपने धर्म के पालन के लिए कष्ट सहना ये दैवीय सम्प्रदा के लक्षण है। "
" शास्त्र, वर्ण, आश्रम की मर्यादा के अनुसार जो काम किया जाता है वह कार्य है और शास्त्र आदि की मर्यादा से विरुद्ध जो काम किया जाता है वह अकार्य है। "
" राधा ने कन्या से पूछा कोई अपना तुझे छोड़ कर चला जाये तो क्या करोगे। कान्हा ने उत्तर दिया: अपने कभी छोड़ कर नहीं जाते और जो चले जाये है वह अपने नहीं होते। "
" मेरे दिल की दीवारों पर श्याम तेरी छवि हो, मेरे नैनों के दरवाज़े पर कान्हा तेरी तस्वीर हो, बस कुछ और न मांगू तुझसे मेरे मुरलीधर , तूझे हर पल देखु मेरे कन्हैया ऐसी मेरी तकदीर हो। "
" बैरागी बने तो जग छूटे, सनयासी बने तो छूटे तन, कान्हा से प्रेम हो जाये, तो छूटे आत्मा के सब बन्धन। "
" शिव भी मैं हूँ. दुर्गा भी मैं हूँ। समस्त ब्रह्माण्ड, समस्त सृष्टि भी मैं ही हूँ मृत्यु भी मैं ही हूँ। सरे देवी-देवता मुझी को जानो। आकाश, पर्वत, वन सब मैं ही हूँ। "
" कोई मुझे दुर्गा रूप में माता समझकर पूजता है, तो कोई मुझे विष्णु मानकर पूजता है। "
" मैं अजन्मा हूँ, मैं नित्य हूँ,न मेरा ओर है., न छोर। "
" मूलतः मैं निराकार हूँ।लेकिन मेरे भक्त बड़े ही अनोखे और निराले हैं। कोई मेरी मूर्ति बनाकर मुझे अपनी नजरों से देखना चाहता है, तो कोई मुझसे प्रेमी, पुत्र या पिता के रूप में अपने समीप देखना चाहता है। अपने भक्तों के वश में होकर ही मैं भिन्न-झिन्न रूप धरता
हूँ। "
" मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है, और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है। "
" ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है। "
" सभी अच्छे काम छोड़ कर बस भगवान में पूर्ण रूप से समर्पित हो जाओ। मैं तुम्हे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा। शोक मत करो। "
" किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें, भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े। "
" मैं सभी प्राणियों को सामान रूप से देखता हूँ, ना कोई मुझे कम प्रिय है ना अधिक लेकिन जो मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूँ। "
" प्रबुद्य व्यक्ति सिवाय ईश्वर के किसी और पर निर्भर नहीं रहता। "
" मेरी कृपा से कोई सभी कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए भी बस मेरी शरण में आकर अनंत अविनाशी निवास को प्राप्त करता है। "
" मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ। मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यास्सियों का आत्मसंयम हूँ। "
" तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नहीं हैं, और फिर भी ज्ञान की बाते करते हो.बुदधिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं। "
" कर्म मुझे बांधता नहीं, क्योंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा
नहीं। "
" वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है, वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है। "
" बुद्धिमान व्यक्ति को समाज कल्याण के लिए बिना आसक्ति के काम करना चाहिए। "
" जो व्यक्ति आध्यात्मिक जागरूकता के शिखर तक पहुँच चुके हैं. उनका मार्ग है निःस्वार्थ कर्म। जो भगवान के साथ संयोजित हो चुके हैं उनका मार्ग है स्थिरता और शांति। "
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