दिल्ली में कौओ की गणना 





एक दिन बादशाह  सबसे पहले दरबार में आए और बाद में जितने दरबारी आते गए सबसे बारबार यही सवाल पूछने लगे, " दिल्ली में कौओ की संख्या कितनी है ? " सभी दरबारी चुप रह गए। किसी ने झूठ - सच कुछ भी उत्तर नहीं दिया।  तब तक बीरबल भी आ पहुँचे। 

बादशाह ने वही सवाल उससे पूछ , बीरबल धड़ाके से बोले, " गरीब परवर ! पिछले साल मैंने उनकी गणना कराई थी , केवल दिल्ली में पन्द्रह सौ पिचासी कौवे  निकले थे। "

बादशाह बीरबल की स्पष्ट गणना सुन कर आश्चर्यचकित हो गए और बोले , " तुमने पिछले साल गणना कब कराइ थी इसका प्रमाण दो , मुझे तुम्हारी गणना में सक है। 

बीरबल ने कह दिया  - नहीं महाराज ! यह गणना बिलकुल सही है इसकी गणना मैने स्वयं की थी। 

बादशाह ने  कहा , " यदि कौओ की संख्या में जरा सी भी कमी आयी तो तुमसे इसका दण्ड  वसूला जायेगा।  आज शाम तक का मौका है तुम्हारे पास , भली भाँती सोच - विचार कर उत्तर दो।  "

बीरबल ने कहा मेरी गणना बिलकुल सही है ,  फिर से गिनने पर भी इतने ही निकलेंगे। कौओ की सँख्या कम ज्यादा तभी होगी जब यह से कुछ कौवे बहार गए होंगे या बहार से मेहमानी के लिए यहाँ आए होंगे।  




                      उम्र बढ़ाने का नुस्खा 



एक दिन तुर्किस्तान के बादशाह को अकबर की बुध्दि की परीक्षा लेने का विचार आया उसने एक दूत को पत्र देकर सिपाहियों के साथ अकबर के दरबार में भेजा।  पत्र  का आश्य  था , बादशाह अकबर ! मुझे सुनने में आया है की आप के भारतवर्ष में कोई ऐसा पेड़ पैदा होता है जिसके पत्ते खाने से मनुष्य की आयु बढ़ जाती है। यदि यह बात सच्ची है तो मेरे लिए उस पेड़ के कुछ पत्ते भेज दे। 

  

बादशाह अकबर पत्र को पढ़कर विचारमग्न हो गए फिर उन्होंने बीरबल से राय करने के बाद सिपाहियों सहित उस दूत को दूर जंगल में बने एक सदृढ़ किले में बंद करा दिया। 

इस प्रकार कैद हुए  उनको कई दिन बित  गए।  एक दिन बादशाह अकबर बीरबल को ले कर उनके पास पहुंचे और कहा की " तुम्हारा बादशाह जिस वास्तु को चाहता है मै उसे तब तक नहीं दूंगा जब तक इस सदृढ़ किले की एक - दो  ईट  न ढह जाए । तभी तुम लोग आजाद किये जाओगे। " इतना कह कर बादशाह चले गए परन्तु कैदियों की चिंता और बढ़ गई , वे अपने मुक्त होने का उपाए सोचने लगे। 

कुछ देर तक वे इसी चिंता में डूबे रहे। अंत में  उन्होंने ईश्वर की वंदना करना शुरू कर दिया, ' हे भगवन ! क्या हम इस बंधन से मुक्त नहीं  हो पाएंगे ? क्या हमारा जन्म इसी किले में कष्ट भोगने के लिए हुआ  है ? आप दिनानाथ है हमारी कुछ सहायता कीजिए। 

जैसे जैसे उन्हें अपने मुक्त होने की आशा क्षीण होती  गई , वैसे वैसे  वे  नित्य   परमेश्वर से उस किले से मुक्ति के लिए प्राथना करने लगे।  ईश्वर की दयालुता जग जाहिर है। एक दिन उस इलाके में बड़े जोरो से भूकम्प आया और उस किले का कुछ भाग धराशायी  हो गया। दूत ने बादशाह के पास किले टूटने की खबर भेजी। 

 बादशाह को आपना वचन स्मरण हो गया। वे उस दूत को उसके साथियो सहित दरबार बुला कर बोले , " तुम्हे अपने बादशाह का आश्य विदित हो गया होगा और अब उसका उत्तर भी समझ गए होंगे। 

यदि अभी ही न समझे हो तो सुनो ! तुम लोग गिनती में केवल सौ हो और तुम्हारी आह से ऐसा सदृढ़ किला ढह गया।  फिर जहाँ हजारो मनुष्यो पर अत्याचार हो रह हो , वहाँ के बादशाह की आयु कैसे बढ़ेगी , बल्कि दिनों दिन घटती जाएगी और लोगो की आह से उसका पतन हो जायेगा।  हमारे राज्य में  अत्या चार नहीं होता।  गरीब प्रजा पर अत्याचार न करना  और भली भाँती उनका पोषण करना ही आयुवर्धक वृक्ष है , बाकि सारी बाते मिथ्या है। 

इस तरह समझा भुझा कर बादशाह अकबर ने उस दूत को उसके साथियो सहित स्वदेश लौटने की आज्ञा दी।  

उन्होंने तुर्किस्तान पहुँचकर सारी बाते बादशाह को  समझाई , पूरी  बाते सुन कर वह हैरान हो गया। 

अकबर और बीरबल  ( गरीबो के  लिए चंदा  )



एक बार बीरबल गरीबो की बस्ती में  रहने वाले  लोगो के  लिए चंदा वसूल कर रहे थे।  वह इस नेक काम से बस्ती के सर्वाधिक मालदार आदमी के घर जा पहुंचे।  यह आदमी एक  नम्बर का कंजूस - मक्खीचूस था। 

जैसे ही बीरबल ने चंदे की थैली कंजूस के आगे फैलाई , वह फौरन बोल उठा , " मै कहा  से दूँ ? " 

"क्यों जनाब ?" बीरबल ने उदारता पूर्वक पूछा। 
" क्योकि मेरे पास तो कुछ भी नहीं है देने को। " कंजूस ने टरकाने के लिए कहा। 

उसकी बात सुन कर बिरबल ने  झट से उत्तर दिया , " कोई बात नहीं जनाब ! आप इस थैली में से कुछ निकल लीजिए। " 

" मै कुछ समझा नहीं बीरबल। " कंजूस ने कहा। 

दरअसल बात यह है की यह चन्दा गरीबो के लिए ही तो जुटाया जा रह है। " बीरबल ने मुस्कुरा कर उत्तर दिया। 

अकबर और बीरबल ( पतीले  का बच्चा )



एक बार बीरबल को शहर के लोगो ने आकर एक लालची बर्तनो के दुकानदार के बारे में शिकायत की  " कि  वह बहुत लालची है उसे सबक सिकाओ। "

बीरबल दुकान दर के पास गए और तीन बड़े बड़े पतीले खरीद के ले आए। कुछ दिन के बाद वह एक बहुत  छोटी सी पतीली लेकर लालची दुकानदार के पास पहुँचे और बोले " यह आपके बड़े पतीले ने बच्चा दिया है , कृपया इसे आप रख ले। "

 दुकान दर बहुत खुश हुआ और खुशी खुशी उसने छोटी पतीली को रख लिया। 

कुछ दिन  बाद बीरबल एक बड़ा पतीला लेकर दुकानदार के पास गए और बोले , " मुझे यह पतीली पसन्द नहीं आई , आप मेरे पैसे मुझे वापस कर दीजिये। "

दुकानदार बोला , " लेकिन यह तो सिर्फ एक ही है , जबकि मैंने तुम्हे तीन पतीले दिये  थे। "

बीरबल ने कहा  , " जी , असल में दो पतीलों की मृत्यु हो गई गई। "

दुकानदार ने जवाब दिया , " जाओ जाओ क्यों बेवकूफ बनाते हो ? क्या पतीलो की कभी मृत्यु होती है ? "

बीरबल ने  जवाब दिया , " क्यों नहीं , जब पतिलो के बच्चे पैदा हो सकते हैं, तो मृत्यु क्यों नही हो सकती है। "

फिर दुकान दर को मझबुर हो कर पैसे वापस करने पड़े। 

अकबर और बीरबल ( सड़क किस ओर जाती है ) 


एक दिन बादशाह प्रातः काल  वायु सेवन के लिए बीरबल के साथ जंगल में बहुत दूर निकल गए , और  लौटते समय रास्ता भूल गए।  जिस मार्ग से वे आ रहे थे उसी मार्ग में दूसरी तरफ से आता हुआ एक देहाती उन्हें मिल गया। 

बादशाह ने उसे रास्ते का जानकर समझकर पूछ , " भाई यह सड़क किस ओर जाती है ? "

उस आदमी ने उत्तर दिया , " आप लोग निपट नादान  जान पड़ते है। भला सड़क भी कहीं जाती है ? यह जड़ है , इस पर चलने वाले यात्री लोग इधर से उधर जाते है।  "

बादशाह बीरबल के सहित उस देहाती के जवाब से खुश हुए और उसे एक स्वर्ण  सिक्का इनाम देकर खुश किया। 

अकबर और बिबल (बीरबल की मझदूरी )


एक दिन बादशाह बेगमों   को साथ लेकर मोलसरी के फूल चुन रहे  थे।  तभी बीरबल भी आ गए। बीरबल को आता देख एक बेगम ने अकबर से कहा  , " आपका वजीर बड़ा मसखरा है , हम भी उससे प्रश्न करेंगे। " अकबर ने  बीरबल को नजदीक बुला लिया , बीरबल बिना सलाम किये फूल चुनने लग गए।  

एक बेगम ने कहा , " अरे , यह मजदुर बिना अपनी मजदूरी बताये काम कर रह है। 

बीरबल ने कहा , " हुजूर एक मजदूर पहले ही काम कर रहा है , जो आप उसे देंगी सो मुझे दे देना। " 

अकबर और बीरबल ( एक नहीं दो दो हैं )



अक्सर बादशाह अकबर और बिरबल के मध्य नोक झोंक होती रहती थी।  एक रोज की बात है कि , बीरबल ने अकबर से शाही फरमान हासिल कर लिया की जो शख्स अपनी बीवी से डरता होगा , उसे सिध्द होने पर एक मुर्गा बीरबल को बतौर तोफा देना होगा।  

इसके कुछ रोज बात बीरबल ढेर सारे मुर्गे  इकट्ठे करके दरबार पधारे और बादशाह अकबर से बोले , " हुजूर ! मुर्गे जमा करते करते मै बुरी तरह  थक चूका  हूँ , मेहरबानी कर के ये हुक्म वापिस ले लीजिये। 

इस पर बादशाह अकबर ने सीना फुला कर कहां  - " बीरबल ! कमान से निकला हुआ तीर की भाँति यह तीर भी अब निकल चूका समझो , फिलहाल तो कोई और जिक्र करो। " 

" जैसा  आपका हुक्म आलमपनाह ! "   बीरबल ने एक विशेष अंदाज में कहा , " एक तजा और खास खबर यह है कि आपके पड़ोस के राज्य में एक शहजादी  एकदम परियो जैसी खूबसूरत है।  वह हर प्रकार से आपके रनवास की शोभा बढ़ाने योग्य है। आप निकाह करके उसे अपना लें। 

बीरबल की बार पर थोड़ा बचते हुए  बादशाह अकबर  ने  इधर उधर देखा और कहने लगे , " अमा ! आहिस्ता बोलो , हमारे जनानखाने में एक नहीं दो - दो हैं। 

बीरबल ने झट से कहा , " लाइए , अब आपको दो मुर्गो का तोफा देना होगा। "

अकबर और बीरबल ( बिरबाल का रंग )


एक दिन राजा ने दरबार में आदमियों की  खूबसूरती के बारे ने बात की , सबने बीरबल के काले पन  पर हँसी उड़ाई। 
उस वक्त बीरबल वहां नहीं थे। थोड़ी देर में वहाँ आए तो सब लोग उन्हें देख हंसने लगे। 
हँसी की वजह जानने की उनकी ख्वाहिश हुई , मगर उन्होंने उस समय पूछना उचित नहीं समझा। वक्त पाकर उन्होंने बादशाह से कहा , " महाराज ! आज तो आप बहुत खुश दिखाई देते है।  "अकबर ने कहा  , " तुम्हारी काली सूरत देख लोग हँस रहे है । सब लोग गोरे  हैं , तुम काले क्यों  हो ? "
बीरबल बोला , " क्या आपको इसका सबब मालूम नहीं ? " 

राजा ने कहा , " मुझको इसका सबब मालूम नहीं, इसकी क्या वजह है तुम्ही बताओ । "

बीरबल ने कहा , " परमेश्वर ने दुनिया  बनाने के वक्त पहले नवाजीव  को बनाया , मगर इससे भी उसको सब्र न हुआ तो उसने चौपाये , दरिंदे  पैदा किये।  इससे उसे थोड़ी खुशी हुई। 

उन प्राणियों से भी उम्दा प्राणी सृजन  करने का विचार कर उसने आदमी बनाया , इसे बना कर वह बहुत खुश हुआ। फिर उसने आदमी के लिए रूप , दौलत , अकल और ताकत पैदा की।  उसने  इन चारो को रख दिया।  फिर आदमी को हुक्म दिया की नियत समय के भीतर जिस चीज को जितना चाहे ले लो।  मै मुनासिब समझ कर पहले अकल लेने गया। जब मै और चीजे लेने गया तो मालूम हुआ की मुकर्रर समय निकल चूका है।  लाचार मै सिर्फ अकल ही ले सका और आप लोग खूबसूरती और दौलत वगैरह के लालच में फँसकर पूरी अकल न ले पाए। बस मेरे काले होने का यही सबब है।  " 
बीरबल के मुनासिब जवाब से बादशाह हँस पड़े।